वाराणसी, जिसे बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर अपनी धार्मिक महत्ता, गंगा आरती, पवित्र घाट, और ऐतिहासिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर, वाराणसी का प्रमुख आकर्षण है और हर दिन हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। वहीं, दशाश्वमेध घाट गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है, जो एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
सारनाथ, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। मणिकर्णिका घाट और अस्सी घाट जैसे पवित्र घाट, जीवन और मृत्यु के दर्शन को दर्शाते हैं। गंगा नदी पर नौका विहार करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा देखना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।
तुलसी मानस मंदिर और काल भैरव मंदिर जैसे धार्मिक स्थल, शहर की आध्यात्मिक गहराई को दर्शाते हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का सुंदर परिसर और भारत माता मंदिर, भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का परिचय कराते हैं। रामनगर किला, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है, वाराणसी के राजसी इतिहास को दर्शाता है।
वाराणसी की यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह आपको भारतीय संस्कृति, आध्यात्म, और परंपरा के करीब लाती है। यहां का हर कोना इतिहास, पौराणिक कथाओं, और अद्वितीय अनुभवों से भरा हुआ है, जो इसे पर्यटन और धार्मिक यात्रा के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)
काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple), जो वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां उनकी "विश्वनाथ" (विश्व के स्वामी) के रूप में पूजा होती है। काशी, जिसे पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है, और काशी विश्वनाथ मंदिर को यहां का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है।
मंदिर का इतिहास प्राचीन है, और यह कई बार आक्रमणों और विनाशों का शिकार हुआ, लेकिन हर बार इसे फिर से बनवाया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा किया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर सोने से मढ़ा हुआ है, जो इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।
मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालु भगवान शिव के भव्य और अलौकिक रूप को देख सकते हैं। यहां विशेष रूप से "काशी विश्वनाथ रत्न" के दर्शन का महत्व है, और भक्तगण गंगा नदी के तट पर स्नान करके मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के अंदर एक मुख्य शिवलिंग है, जिसे दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।
यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि के अवसर पर, जब मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
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दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)
दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat), वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक घाटों में से एक है। यह घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिंदू धर्म में इसका अत्यधिक महत्व है। दशाश्वमेध घाट का नाम "दश" (दस) और "अश्वमेध" (सिर्फ यज्ञ) शब्दों से लिया गया है, जो इसे उस समय के दस अश्वमेध यज्ञों से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के पिता दशरथ ने यहाँ अश्वमेध यज्ञ किया था, जिससे घाट का नाम पड़ा।
यह घाट वाराणसी का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां लाखों श्रद्धालु हर दिन पूजा, स्नान और अर्चना करने के लिए आते हैं। विशेष रूप से, यहाँ हर शाम आयोजित होने वाली गंगा आरती (Ganga Aarti) प्रसिद्ध है। गंगा आरती में हजारों लोग उपस्थित होते हैं, और यह धार्मिक कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की भव्यता और आध्यात्मिकता का प्रतीक बन गया है। आरती के समय दीपों की लौ और मंत्रों की गूंज से वातावरण अत्यधिक आध्यात्मिक और ऊर्जा से भरा होता है।
दशाश्वमेध घाट पर आने वाले भक्तों को गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है। यह घाट शहर के मुख्य धार्मिक केंद्रों में से एक है और यहाँ से गंगा के दृश्य बहुत ही सुंदर होते हैं, जो यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
दशाश्वमेध घाट पर पर्यटकों के अलावा, कई साधु-संत भी अपनी साधना और ध्यान के लिए आते हैं। घाट पर नाव की सवारी भी पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है, जिससे गंगा के दृश्य और घाटों की सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है।
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सारनाथ (Sarnath)
सारनाथ (Sarnath) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो विशेष रूप से बौद्ध धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपने पहले उपदेश की शुरुआत की थी, और इसे बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
सारनाथ में स्थित धर्मचक्र प्रवर्तन स्तूप (Dharmachakra Pravartan Stupa) और धर्मराजिका स्तूप (Dharmarajika Stupa) इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इन स्तूपों के साथ-साथ यहां महाबोधि मंदिर और सारनाथ संग्रहालय (Sarnath Museum) भी हैं, जहां बुद्ध के जीवन से संबंधित विभिन्न प्राचीन अवशेषों का संग्रह है।
यह स्थान बौद्ध तीर्थयात्रा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां भगवान बुद्ध ने निरवाना और धम्म का उपदेश दिया। सारनाथ के आस-पास का इलाका भी प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है, और यहाँ का शांत वातावरण पर्यटकों को ध्यान और आत्मिक शांति के लिए आदर्श स्थान प्रदान करता है। अगर आप इतिहास, धर्म, और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो सारनाथ यात्रा आपके लिए एक अद्वितीय अनुभव हो सकती है।
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मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat)
मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) वाराणसी के प्रमुख और ऐतिहासिक घाटों में से एक है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह घाट हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि इसे मोक्ष प्राप्त करने का स्थान माना जाता है। मणिकर्णिका घाट पर हिन्दू श्रद्धालु अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं, क्योंकि यहाँ शवों का दाह संस्कार (cremation) किया जाता है। इसे वाराणसी का सबसे महत्वपूर्ण शमशान घाट भी कहा जाता है।
मणिकर्णिका घाट की विशेषता यह है कि यहाँ लगातार चिता की आंच जलती रहती है। इसे मोक्षदायिनी घाट भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहाँ मरने से व्यक्ति को सीधे मोक्ष मिलता है। घाट के पास मणिकर्णिका कुंड स्थित है, जो एक पवित्र जलकुंड है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
मणिकर्णिका घाट के आस-पास शिव मंदिर, राम मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। यहाँ आकर लोग न केवल धार्मिक कार्य करते हैं, बल्कि गंगा की पूजा भी करते हैं।
इस घाट की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव होती है, जहां पर गंगा आरती, धार्मिक अनुष्ठान और हवन का दृश्य बहुत ही अद्भुत होता है। मणिकर्णिका घाट का धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक संदर्भ और आध्यात्मिक वातावरण इसे एक अत्यधिक आकर्षक स्थल बनाता है।
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अस्सी घाट (Assi Ghat)
अस्सी घाट (Assi Ghat) वाराणसी का एक प्रमुख घाट है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह घाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित है और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अस्सी घाट का नाम यहाँ बहने वाली अस्सी नदी से लिया गया है। यह घाट हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है और यहाँ पर गंगा आरती का आयोजन भी किया जाता है, जो एक अद्वितीय अनुभव होता है।
अस्सी घाट का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, और यह घाट भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख स्थल बन चुका है। यहां हर रोज़ लाखों लोग गंगा स्नान करने आते हैं और आरती में भाग लेते हैं। घाट के आसपास कई मंदिर, आश्रम और दुकाने स्थित हैं, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। यहाँ से सूर्यास्त और सूर्योदय के दृश्य अत्यंत खूबसूरत होते हैं, और पर्यटक इन प्राकृतिक दृश्याओं का आनंद लेने आते हैं।
अस्सी घाट पर शाम के समय जो गंगा आरती होती है, वह विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस आरती में श्रद्धालु, पुजारी और पर्यटक एक साथ आकर गंगा माँ की पूजा करते हैं। घाट पर विभिन्न प्रकार की नाव सवारी भी उपलब्ध होती है, जिनसे पर्यटक गंगा में डुबकी लगाने और नदी के किनारे की सुंदरता देखने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
अस्सी घाट की यात्रा विशेष रूप से उन लोगों के लिए एक अद्भुत अनुभव है, जो आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति में रुचि रखते हैं। यह स्थान वाराणसी में घूमने के लिए एक अनिवार्य जगह है।
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तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manas Temple)
तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manas Temple) वाराणसी में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है, जो भगवान राम के भक्त और कवि तुलसीदास द्वारा लिखित श्रीरामचरितमानस के सम्मान में बनवाया गया है। यह मंदिर दशाश्वमेध घाट के पास स्थित है और अपने वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का निर्माण 1964 में हुआ था और यह स्थल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र है।
मंदिर के भीतर दीवारों पर श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों की सुंदर चित्रकारी की गई है, जो इस मंदिर को एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर बनाती है। तुलसी मानस मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन मूर्तियों के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ आते हैं। मंदिर के आंगन में हनुमान जी की विशाल प्रतिमा भी है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
यह मंदिर भारतीय संस्कृति, इतिहास और साहित्य का महत्वपूर्ण केंद्र है, क्योंकि यहाँ के दर्शन और वातावरण में शांति का अनुभव होता है। विशेष रूप से राम नवमी और दीपावली जैसे हिंदू त्योहारों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
तुलसी मानस मंदिर का स्थल रामकाव्य और भारतीय साहित्य के प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव है। यहाँ की वास्तुकला और धार्मिक वातावरण को महसूस करने के लिए यह मंदिर एक आदर्श स्थल है।
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University (BHU))
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University (BHU)), जिसे आमतौर पर वाराणसी विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है और भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक स्थान रखता है। BHU की स्थापना 1916 में पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा की गई थी, और यह विश्वविद्यालय हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के अध्ययन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
BHU का कैम्पस विशाल और हरियाली से भरपूर है, जिसमें कई महाविद्यालय और संस्थान शामिल हैं। यहाँ कला, विज्ञान, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, भौतिकी, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, कानून और आध्यात्मिक अध्ययन जैसे कई विषयों में उच्च शिक्षा दी जाती है। BHU का संस्कृत और हिंदू धर्म पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे यह विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति और परंपरा का केंद्र बन गया है।
BHU का मुख्य परिसर लगभग 1,300 एकड़ में फैला हुआ है और यहाँ पर विश्वविद्यालय प्रशासन भवन, वीर बहादुर सिंह फिजिकल साइंस बिल्डिंग, संगीत विभाग, और सांस्कृतिक केंद्र जैसी कई ऐतिहासिक और आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, BHU में ललित कला और भारतीय संगीत का भी अध्ययन किया जाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हर साल लाखों छात्र-छात्राएँ अपनी शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है और इसके पूर्व छात्रों में कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple)
भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple), वाराणसी का एक अनोखा और ऐतिहासिक मंदिर है, जो भारत देश को समर्पित है। यह मंदिर वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित है और इसे 1936 में शिवप्रसाद गुप्त द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर किसी देवी-देवता को नहीं, बल्कि भारत माता को समर्पित है, जो अपने आप में अद्वितीय है और राष्ट्रीय एकता, अखंडता और गौरव का प्रतीक है।
मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यहां स्थापित विशाल भारत का मानचित्र है, जो संगमरमर से बना हुआ है। यह मानचित्र भारत की भौगोलिक संरचना, पर्वत, नदियाँ और समुद्र को तीन-आयामी रूप में प्रदर्शित करता है। यह मानचित्र भारतीय भूगोल, इतिहास और संस्कृति का शानदार प्रतिनिधित्व करता है।
मंदिर की वास्तुकला पूरी तरह से आधुनिक शैली में बनी हुई है और इसे लाल और सफेद पत्थरों से सजाया गया है। यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। मंदिर का वातावरण शांत और प्रेरणादायक है, जहाँ लोग देशभक्ति की भावना से भर जाते हैं।
भारत माता मंदिर में किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय के लोग आ सकते हैं, जिससे यह स्थान राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया है। यह मंदिर विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत के लोगों की देशभक्ति और त्याग को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से बनाया गया था। यहाँ पर हर साल स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गांधी जयंती जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह स्थान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए वाराणसी के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यहाँ आकर लोग भारतीय संस्कृति, इतिहास और अखंडता को करीब से महसूस करते हैं।
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रामनगर किला (Ramnagar Fort)
रामनगर किला (Ramnagar Fort) वाराणसी के रामनगर क्षेत्र में गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित एक ऐतिहासिक किला है। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में काशी नरेश राजा बलवंत सिंह द्वारा करवाया गया था। यह किला भारतीय स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण है।
किले की वास्तुकला मुगल शैली से प्रेरित है और इसे बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। किले के भीतर स्थित भव्य महल, संग्रहालय, मंदिर और आंगन इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं। रामनगर किला संग्रहालय यहाँ का मुख्य आकर्षण है, जहाँ काशी नरेशों के शासनकाल से संबंधित प्राचीन वस्त्र, हथियार, पुरानी घड़ियाँ, पालकियाँ, और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
किले के अंदर स्थित व्यास मंदिर, जो हिंदू संत महर्षि वेद व्यास को समर्पित है, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह स्थान विशेष रूप से वाराणसी के सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है। किले के सामने से बहने वाली गंगा नदी का दृश्य अद्भुत होता है, जो सूर्यास्त के समय बेहद सुंदर दिखता है।
रामनगर किला वाराणसी की विश्वप्रसिद्ध रामलीला के लिए भी जाना जाता है। यहाँ आयोजित होने वाली रामलीला में पारंपरिक कला और धार्मिक इतिहास का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यह आयोजन हर साल बड़ी धूमधाम से किया जाता है और इसमें देश-विदेश से लोग भाग लेने आते हैं। यह किला इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक अद्भुत स्थल है। यह किला वाराणसी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को सजीव बनाए हुए है।
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काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav Temple)
काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav Temple), वाराणसी का एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है, जो भगवान शिव के भैरव रूप को समर्पित है। इसे "काशी का कोतवाल" भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि काशी (वाराणसी) में आने वाले हर श्रद्धालु को सबसे पहले काल भैरव के दर्शन करना आवश्यक है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और यह वाराणसी के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
काल भैरव को भगवान शिव का उग्र और रक्षक स्वरूप माना जाता है। उनकी प्रतिमा के हाथ में त्रिशूल और सिर पर मुण्डमाल है। उनके वाहन के रूप में कुत्ता विशेष रूप से पूजनीय है, और इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कुत्तों को भोजन कराना पुण्य का कार्य मानते हैं।
मंदिर का प्रांगण शांत और आध्यात्मिक वातावरण से भरपूर है। यहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना और आरती के लिए आते हैं। विशेष रूप से रविवार और अष्टमी के दिन यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। यह माना जाता है कि काल भैरव की पूजा से भक्तों के सभी भय और कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
यह मंदिर वाराणसी के आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव को गहराई से महसूस करने का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके दर्शन करने से भक्तों को अद्भुत ऊर्जा और सुरक्षा का आभास होता है, और यह मंदिर काशी यात्रा को पूर्ण करता है।
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गंगा नदी पर नौका विहार (Boating on the Ganges)
गंगा नदी पर नौका विहार (Boating on the Ganges) वाराणसी का सबसे आकर्षक और मनमोहक अनुभवों में से एक है। गंगा के शांत जल में नाव की सवारी करते हुए, वाराणसी के घाटों और मंदिरों का भव्य दृश्य देखने का मौका मिलता है। यह अनुभव आध्यात्मिकता, संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
नौका विहार के दौरान आप वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों जैसे दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, और हरिश्चंद्र घाट को करीब से देख सकते हैं। गंगा के दोनों किनारों पर बसे इन घाटों का दृश्य सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बेहद खूबसूरत होता है। खासतौर पर सुबह के समय, जब श्रद्धालु गंगा स्नान और प्रार्थना करते हैं, यह नजारा अद्भुत होता है।
गंगा आरती के समय नौका विहार करना एक अनोखा अनुभव है। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली भव्य आरती को नदी के बीच से देखना मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। इसके साथ ही, नाव की सवारी के दौरान आप गंगा के किनारे के प्राचीन मंदिर, संतों की तपोस्थली और वाराणसी के सांस्कृतिक जीवन को नजदीक से महसूस कर सकते हैं।
नौका विहार के लिए उपलब्ध लकड़ी की नावें, मोटरबोट्स, और निजी बोटिंग सेवाएँ आपकी सुविधा के अनुसार विकल्प प्रदान करती हैं। नाव सवारी सुबह और शाम के समय विशेष रूप से आनंददायक होती है।
गंगा पर नौका विहार वाराणसी यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो न केवल आध्यात्मिकता को जागृत करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का भी अनुभव कराता है।
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